Kabir Satsang: विकार के कारण डूबती है जीवन रूपी नौका

गंगापुरसिटी। यहां उघाड़मल बालाजी के पास दो दिवसीय कबीर सत्संग समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर कोटा से आए कबीर वाणी के राष्ट्रीय प्रचारक सद्गुरु प्रभाकर साहेब ने प्रवचन में कहा कि जिस तरह नाव में किसी भी छोर पर छेद हो जाने पर वह पानी में डूबब जाती है, उसी प्रकार में जीवन में कोई भी विकार शेष रहता है तो जीवन रूपी नौका भवसागर में डूब जाती है। इसलिए व्यक्ति को मन, वाणी और कर्मों की पवित्रता का कार्य करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सुख व दु:खो का दाता कोई और नही बल्कि यह तो उसके किए कर्मो का ही फल होता है, अच्छे कर्म करने वाला अशुभ को भी शुभ बना लेता है और बुरे कर्म करने वाला शुभ को भी अशुभ में परिणित कर देता है। आज के वैज्ञानिक युग में भी व्यक्ति की बुद्धि का दिवाला निकल गया है। एक और जहां मनुष्य चांद पर बस्ती बनाने की कवायद कर रहा है, दूसरी तरफ वर्तमान पीढ़ी भूत-प्रेत, शगुन-अपशगुन की वाहियात मान्यताओं से ग्रसि होती जा रही है। उन्होंने कहा कि आज का युवा व्यसन में, युवतियां फैशन में तथा इन्हे देखकर बूढ़े टेंशन मे डूबे हंै, जबकि क्षणिक सुख और उन्माद मे न फंसकर सादगी का जीवन जीने वाला ही चिरशांति को प्राप्त करता है।

धौलपुर से आए संत अमृत साहेब ने कहा कि परिवार में मां का सर्वोच्च स्थान है और वह किसी भी संतान की प्रथम गुरु होती है। माई और गाय की सेवा करने वाला हमेशा प्रसन्नता व यश को प्राप्त करता है। निवाई से आए संत उचित साहेब ने कहा कि अच्छे संत और शास्त्र, समाज का तभी भला कर सकते है जब लोग उनमें श्रद्धा रखे। उनके विचारो को अपनाए, राम को मानने की अपेक्षा उसे जानकर ही जीव का कल्याण सम्भव है। संसार मे उत्पत्ति- प्रलय हर क्षण लगा है, जिसे यह देखने की कला आ गई उसका जीवन सफल हो जाता है। संत सुधीर साहेब, आशानंद गिरी, संत सुबोध साहेब, राम साहेब, लगन साहेब सहित एक दर्जन से अधिक संतो ने कबीर वाणी पर विचार रखे। इससे पहले संत गुरुबोध ने संगीतमय भजनों की प्रस्तुति दी। अंत मे संतों की पूजा आरती की गई। इस मौके पर बद्री प्रजापति, राजाराम सहित ग्रामीण उपस्थित मौजूद थे। साथ ही भण्डारे में श्रद्धालुओ ने प्रसाद ग्रहण किया।