WCREU का चेतावनी दिवस: मौद्रीकरण के खिलाफ रेलकर्मियों का प्रदर्शन, जनशताब्दी ट्रेन आगमन पर रैली

गंगापुरसिटी। केन्द्र सरकार की मौद्रीकरण नीति के खिलाफ ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (AIRMF) व वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (WCREU) के आह्वान पर बुधवार को चेतावनी दिवस मनाया गया। इस दौरान गंगापुरसिटी में शाम को जनशताब्दी एक्सप्रेस के आगमन पर यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष नरेन्द्र जैन व मंडल सह सचिव राजूलाल गुर्जर के नेतृत्व में यूनियन कार्यकर्ताओं व रेल कर्मचारियों ने लाल झंडों के साथ विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही प्लेटफार्म संख्या दो पर रैली निकाल कर केन्द्र सरकार व रेलवे के निजीकरण के विरोध में मुर्दाबाद के नारे लगा कर आक्रोश का इजहार किया। इस मौके पर उपाध्यक्ष जैन ने कहा कि केन्द्र सरकार ने मौद्रीकरण के नाम पर 400 रेलवे स्टेशन, 90 पैसेंजर गाडिय़ों, 14 किलोमीटर लंबी रेलवे 265 गॉड सैड, 15 रेलवे स्टेडियम, 741 किलोमीटर लंबी कोंकण रेलवे, चार हिल स्टेशन, 673 किलोमीटर डेडीकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर सहित रेलवे कॉलोनियों का निजीकरण करने का निर्णय लिया है। केन्द्र सरकार और उसके मंत्री बिना किसी उचित कारण के सरकारी संसाधनों को बेचने में लगे हैं। मौद्रीकरण के नाम पर सभी विभागों में एक-एक कर सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने का कुचक्र चल रहा है। ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन और वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन ने मौद्रीकरण के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। आज पूरे देश में चेतावनी दिवस के अवसर पर सभी जगह धरना-प्रदर्शन कर सरकार को आगाह कर रहे हैं कि वह निजीकरण की नीतियों को बंद करें। इससे देश का भला नहीं होने वाला। लाल झंडे की यूनियन निजीकरण के खिलाफ हर स्तर पर संघर्ष करने को तैयार है, लेकिन रेल को किसी सूरत में बिकने नहीं देंगे।

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मंडल सह सचिव राजूलाल गुर्जर ने कहा कि अभी आंशिक सफलता मिली है। पहले केन्द्र सरकार ने रेलवे की 500 यात्री गाडिय़ों को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय लिया था, लेकिन ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन और वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के आंदोलन एवं जन आक्रोश के कारण सरकार को कदम वापस लेने पड़े और फिर सरकार ने 150 यात्री गाडिय़ों को निजी हाथों में सौंपने की कोशिश की। लेकिन दोबारा व्यापक विरोध के कारण सरकार के मंसूबे सफल नहीं हो पाए। अभी हाल हीवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मौद्रीकरण के नाम पर पुन: सभी सरकारी संसाधनों का धीरे-धीरे कर निजीकरण करने की योजना बनाई है। इसके तहत रेलवे में भी 90 पैसेंजर गाडिय़ों सहित कई संसाधनों को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय लिया है, जबकि इन सभी से रेलवे को लाभ अर्जित हो रहा है। लोको शाखा के सचिव राजेश चाहर ने कहा कि हमारे संगठन ने हमेशा निजीकरण का विरोध किया है और हमारा आंदोलन निजीकरण के खिलाफ जारी रहेगा। भारत सरकार यह नहीं बता पा रही है कि निजीकरण की आवश्यकता क्या है। केन्द्र्र सरकार का एकमात्र एजेन्डा सरकारी संपत्तियों को बेचने का है, भले ही वह फायदे में ही चल रही हो। इस अवसर पर कैरिज शाखा अध्यक्ष गजानंद शर्मा, यातायात शाखा अध्यक्ष शशि शर्मा, इमरान खान, बृजेश जागा, हरीमोहन गुर्जर, शरीफ मोहम्मद, अशोक शर्मा, हरिमोहन मीना, लच्छी सिंह, आबिद, जीतराम सैनी, उदय सिंह, महेश कुमार मीणा, दशरथ शर्मा, मुकेश, जुनैद खान, आदिल, तरुण यादव, मनोज कुमार, ब्रजेश जागा, सुधीर गुप्ता, आर के मीना, अशोक कुमार, आर पी मंगल आदि रेलकर्मी उपस्थित थे।