- अधिकांश CMO ने माना- रिकवरी में तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी
- लॉकडाउन की चुनौती से निपटने के लिए डिजिटल फर्स्ट की रणनीति अपनाई
ऑक्टेन रिसर्च के एक सर्वे में शामिल एक-तिहाई से ज्यादा (35%) चीफ मार्केटिंग (Chief Marketing) ऑफिसर्स ने V-शेप इंडस्ट्रियल रिकवरी रहने की उम्मीद जताई है। इन CMO का कहना है कि कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन और FMCG सेक्टर में मांग बढ़ने के कारण V-शेप रिकवरी रहेगी।
Chief Marketing: 23% को इकोनॉमी में 2 साल में रिबाउंड की उम्मीद
सर्वे में शामिल 23% Chief Marketing ऑफिसर्स ने इकोनॉमी में 2 साल में रिबाउंड की उम्मीद जताई है। यह सर्वे देश के 250 से ज्यादा CMO और भारतीय इंडस्ट्री के प्रमुख लीडर्स पर किया गया है। ‘डिजिटल 2021: अडेप्टिंग टू द न्यू नॉर्मल’ नाम के इस सर्वे के मुताबिक, केवल 15 CMO ने माना है कि उनकी इंडस्ट्री ने W-शेप रिकवरी में देरी कर दी है। सर्वे में कहा गया है कि रिकवरी में तकनीक काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इंडस्ट्री और कंपनियां उपभोक्ताओं तक ऑनलाइन पहुंचने और खरीदारी को प्रेरित करने के लिए तकनीक का सहारा लेंगी।
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डिजिटल फर्स्ट की रणनीति अपनाई
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन की चुनौती से निपटने के लिए देश के CMO ने अपने माइंडसेट में बदलाव किया और डिजिटल फर्स्ट की रणनीति अपनाकर इसका सामना किया। इसके अलावा उपभोक्ताओं की बेहतर सेवा और उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए CMO ने पोस्ट-परचेज रिड्रेसल सिस्टम में भी निवेश किया।
4.76 मिलियन व्हीकल के निर्यात का अनुमान
ऑक्टेन की 10वीं सालगिरह पर प्रकाशित की गई वार्षिक ऑनलाइन मार्केटिंग रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कुछ निश्चित कमोडिटीज के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। उदाहरण के लिए- जून में रुपए के लिहाज से मिर्च के निर्यात में 34% की ग्रोथ रही है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में निर्यात बढ़कर 4.76 मिलियन व्हीकल रहने का अनुमान जताया गया है।
इंटरनेट की पहुंच बढ़ने से भी रिकवरी में लाभ मिलेगा
इंटरनेट की पहुंच बढ़ने से देश के CMO में रिकवरी को लेकर सेंटिमेंट बेहतर हुआ है। इंटरनेट की पहुंच बढ़ने से कंपनियों के लिए नए बाजार खुल गए हैं। ई-कॉमर्स के जरिए कंपनियां कम खर्च पर शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं तक पहुंच सकती हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की GDP में 23.9% की गिरावट रह गई थी। हालांकि, अगली तिमाही में यह गिरावट कम होकर 7.5% रह गई थी। CMO इसको भी रिकवरी के लिए एक पॉजिटिव संकेत मान रहे हैं।
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