भोपाल । मध्य प्रदेश में मंगलवार को जारी दिनभर की राजनीतिक उठापटक के बाद शाम छह बजे मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, जो शाम 7.30 बजे खत्म हुई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ और पार्टी नेताओं ने दावा किया कि निराश होने और घबराने की बात नहीं है। कांग्रेस विधानसभा में बहुमत साबित करेगी। 22 इस्तीफों के बाद कांग्रेस के पास अब 99 विधायकों का संख्या बल है। लेकिन, विधायक दल की बैठक में केवल 94 विधायक पहुंचे, इनमें 4 निर्दलीय भी शामिल थे। बसपा 2, सपा के 1 विधायक के अलावा कांग्रेस के 2 अन्य विधायक भी बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बावजूद कमलनाथ ने कहा कि सरकार पर संकट नहीं है। इस बीच भाजपा अपने सभी 106 विधायकों को भोपाल से बाहर (किसी दूसरे राज्य) भेज रही है। उधर कांग्रेस छोडऩे वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में आना कल तक के लिए टल गया है।
कांग्रेस ने देर रात कहा कि जिन विधायकों के इस्तीफे का दावा किया गया है उन्हें दिल्ली राजसभा चुनाव के बहाने (सिंधिया की तरफ से) ले जाया गया था और उनसे इस्तीफे वाले हस्ताक्षर (धोखे) से करवाए गए हैं। कमलनाथ ने भी आरोप लगाया है कि उनके विधायकों को (कैद) किया। उन्होंने चुनौती दी कि अगर विधायक (कथित बागी 21 विधायक) सच में उनसे नाराज हैं तो उन्हें बेंगलुरु में क्यों कैद, भोपाल क्यों नहीं लाते।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक बुधवार को भोपाल पहुँच रहे हैं और जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अभी भी (नाराज) विधायकों को मनाने की कोशिश कर रही है।
कमलनाथ के नजदीकी एक मंत्री को विधायकों को मनाने का जिम्मा दिया गया है। वे बेंगलुरु रवाना हो गए हैं। उधर भाजपा के तमाम विधायक एक बस में देर रात एयरपोर्ट ले जाये जा रहे हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर को पता नहीं है कि उन्हें जाना कहा हैं। एक चार्टेड प्लेन से उन्हें ले जाने की बात पता चली है।
कमलनाथ के अभी भी बहुमत होने के दावे से राजनीतिक हलकों में हलचल है। सभी जानते हैं कि कमलनाथ जोड़तोड़ के माहिर राजनेता हैं और कांग्रेस हलकों में कहा जा रहा है कि वे आसानी से अपनी सरकार नहीं गिरने देंगे। भोपाल में जो बैठक हुई है, उसमें ज्यादातर विधायकों के आ जाने से कांग्रेस खेमे में ‘उत्साह ‘ दिख रहा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ विधायकों को यह कहकर दिल्ली ले जाये गए थे, राज्य सभा टिकट के लिए दबाव बनाना है इसलिए दिल्ली जाना है। कांग्रेस का आरोप है कि उनसे इस्तीफे पर दस्तखत भी धोखे से करवाए गए हैं। चर्चा है कि भाजपा विधायकों को दिल्ली होते हुए बेंगलुरु ले जा सकती है।
मध्य प्रदेश में अब शाह-मात का खेल शुरू हो गया है। कमलनाथ पूरी तरह से अपनी सरकार बनाने में जुट गए हैं। वे अपने तमाम सम्पर्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि वे अब भी अपनी सरकार बचाने में सफल होते हैं तो यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। इसका सबसे बड़ा कारण कि मध्य प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल भाजपा के ताकतवर नेता अमित शाह की जानकारी में हुई है जो सुबह सिंधिया को अपने साथ पीएम मोदी से मिलवाने ले गए थे। वैसे भाजपा के नेता अब मध्य प्रदेश में अपनी सरकार पक्की मान कर चल रहे हैं।
दिन में सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर छह मंत्रियों को मंत्री पद से हटाने की सिफारिश की थी। इनमें गोविन्द सिंह राजपूत, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रधुमन सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभु राम चौधरी शामिल हैं।