महंगाई भत्ते को लेकर वेसेरेएयू का विरोध प्रदर्शन, 3 मई तक चलेगा

कोटा। केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रिय कर्मचारियो के मंहगाई भत्ते एवं सेवानिवृत कर्मचारियों की महंगाई राहत को जुलाई 2021 तक फ्रीज कर इस कोरोना महामारी की संकट की घड़ी में कर्मचारियों के साथ धोखा किया है।
वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाईज यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि कोरोना महामारी में रेलकर्मचारी दिन रात मौत की परवाह किये बगैर 24 घंटें अपनी सेवायें देने का कार्य कर रहे हैं। पूरे देश को दिन-प्रतिदिन की खा़द्य सामग्री, दवाईयां, मेडीकल उपकरण, बिजली घरों का कोयला, आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति कर रहे हैं। ऐसे संकट के समय कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने की वजाय महंगाई भत्ते की आर्थिक कटौती करने का अनैतिक निर्णय लिया है। जबकि रेलकर्मचारियों ने स्वेच्छा से एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में दिया है और आगे भी आर्थिक सहायता से पीछे नहीं हटने वाले थे।
गालव ने बताया कि सरकार के इस अनैतिक निर्णय से सभी रेलकर्मचारियों व सवेानिवृति रेलकर्मचारियों में भारी रोष है, इसलिये उनकी भावनाओं को देखते हुए तीनों मंडलों कोटा, जबलपुर व भोपाल के अपने-अपने कार्यस्थलों पर एवं कोरोना के कारण जो कर्मचारी घर पर हैं वह अपने घर पर रहते हुये विरोध सप्ताह के प्रथम दिन काली पटट्ी बांध कर, इस अनैतिक निर्णय के खिलाफ विरोध प्रारंभ कर दिया है। सेवानिवृत कर्मचारियों ने भी घरों पर रहकर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शित कर रह हैं।
कोटा मंडल के तुगलकाबाद, भरतपुर, बयाना, गंगापुर सिटी, सवाईमाधोपुर, बांरा, बूंदी, रामगंजमंडी, भवानीमंडी, श्यामगढ़, विक्रमगढ़, आलोट एवं कोटा के सभी रेलकर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शित किया है। इसी तरह जबलपुर मंडल के कटनी, सागर दमोह, सतना व्यौहारी, नरसिहंपुर, पिपरिया व भोपाल में इटारसी, बीना, हरदा, गुना, शिवपुरी सभी स्थानों के इंजीनियरिंग विभाग समस्त कर्मचारियों सहित ट्रेकमैन सभी स्टेशन मास्टर, पॉइन्ट्समैन, सिंग्नल एवं टेलीकॉम, कैरिज एवं वैगन, विद्युत एवं इलेक्ट्रिक शेड, बिजली, ट्रेन लाईटिंग, टीरआडी, वर्कशॉप के कर्मचारी एवं क्लेरिकल स्टाफ, लेखा शाखा, वाणिज्य सभी विभागों के कर्मचारियों ने एकजुटता परिचय दिया।
रेलकर्मचारी 3 मई तक अपनी बांह पर काली पट्टी बांधकर केन्द्र सरकार के इस तुगलकी आदेश के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएंगे। अगर इसके फलस्वरूप भी केन्द्र सरकार ने यह आदेश वापस नहीं लिये तो केन्द्रीय कर्मचारी व रेलकर्मचारी आरपार की लड़ाई के लिये हमेशा तैयार है।