Ministers of Rajasthan: भजनलाल सरकार के मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। गृह विभाग मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खुद अपने पास रखा है। डिप्टी सीएम दीया कुमारी को वित्त मंत्री के साथ छह विभाग दिए हैं। वहीं डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को परिवहन के साथ चार विभागों का जिम्मा सौंपा गया है। किरोड़ी लाल मीणा को कृषि और ग्रामीण विकास,आपदा प्रबंधन और जन अभाव अभियोग विभाग दिया है।
भजन लाल शर्मा, मुख्यमंत्री
1. कार्मिक विभाग
2. आबकारी विभाग
3. गृह विभाग
4. आयोजना विभाग
5. सामान्य प्रशासन विभाग
6. नीति निर्धारण प्रकोष्ठ – मुख्यमंत्री सचिवालय
7. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग
8. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी)
दिया कुमारी, उप मुख्यमंत्री
1. वित्त विभाग
2. पर्यटन विभाग
3. कला, साहित्य, संस्कृति और पुरातत्व विभाग
4. सार्वजनिक निर्माण विभाग
5. महिला एवं बाल विकास विभाग
6. बाल अधिकारिता विभाग
गृह विभाग के बाद सबसे अहम वित्त विभाग को माना जाता है। होम डिपार्टमेंट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खुद के पास रखा है, जबकि फाइनेंस की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम दीया कुमारी को दी गई हैं। ये विभाग ही प्रदेश के भविष्य की दिशा और दशा तय करता है। प्रदेश का बजट तैयार करने का प्रमुख जिम्मा इसी विभाग के कंधों पर रहता है।
विधानसभा में बजट वित्त मंत्री ही पढ़ता है। दीया कुमारी महज दूसरी बार की विधायक हैं फिर भी उन्हें इस महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी देने के पीछे कारण अनुभव की बजाय भरोसा है।
हालांकि दीया कुमारी की राह आसान नहीं होगी। राजस्थान पर 5.5 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है। उन पर कर्ज कम करने और राजस्व बढ़ाने की चुनौती होगी। कहा जा सकता है कि इस सरकार में सीएम के बाद सबसे मजबूत कद दीया कुमारी का रहेगा।
इसके अलावा उन्हें एक और महत्वपूर्ण पीडब्ल्यूडी विभाग भी मिला है। नेशनल हाईवे को छोड़ प्रदेश के वंचित क्षेत्रों को सड़कों से जोड़ना, चौड़ी और क्वालिटी की सड़कें बनाने और उनमें सुधार, नए जिलों में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने का जिम्मा दीया कुमारी के कंधों पर ही रहेगा।
डॉ. प्रेमचन्द बैरवा, उप मुख्यमंत्री
1. तकनीकी शिक्षा विभाग
2. उच्च शिक्षा विभाग
3. आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा एवं हौम्योपैथी (आयुष)
4 परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग
प्रेमचंद बैरवा को तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ रेवेन्यू देने के कारण कमाऊ विभाग माने जाने वाले परिवहन की जिम्मेदारी दी है। राजे के नजदीकी मानें जाने वाले बैरवा ढूंढाड़ में भाजपा के प्रमुख दलित चेहरा हैं और इन्हें संघ का भी सपोर्ट है।
जातिगत समीकरणों को साधने के चलते और डिप्टी सीएम पद के कारण इनका कद मजबूत है। परिवहन को पिछले बजट में 11 हजार 500 करोड़ रुपए हिस्सेदारी दी गई थी। सड़क सुरक्षा के मामले में या यूं कहें कि सड़कों पर दुर्घटनाओं के कारण मौत के बढ़ते आंकड़ों को रोकना इनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
Ministers of Rajasthan
मंत्री किरोडी लाल मीणा
1. कृषि एवं उद्यानिकी विभाग
2. ग्रामीण विकास विभाग
3. आपदा प्रबंधन, सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग
4. जन अभियोग निराकरण विभाग
राज्यसभा सांसद रहते हुए कांग्रेस के खिलाफ बड़े आंदोलन चलाने वाले किरोड़ी लाल मीणा को कृषि और ग्रामीण विकास विभाग जैसे संवेदनशील विभाग मिले हैं। मीणा कांग्रेस सरकार और उनके मंत्रियों के खिलाफ काफी मुखर रहे, पेपर लीक से लेकर हर मुद्दे पर सड़क पर आंदोलन किए। एसटी समुदाय के बड़े चेहरे हैं। इस कारण इन्हें कृषि व ग्रामीण विकास जैसे संवेदनशील और हमेशा राजनीति में छाए रहने वाले विभाग की जिम्मेदारी दी गई है।
कृषि का पिछला बजट करीब 13 हजार करोड़ का था, जो विभागीय बजट साइज की तुलना में सातवें नंबर पर है। पिछली सरकार ने अलग से कृषि बजट पेश किया था। इस कारण दीया कुमारी के बाद इसे दूसरे नंबर पर पॉवरफुल विभाग माना जा रहा है। यदि भजनलाल सरकार भी अलग से कृषि बजट लाती है तब यह एक मात्र विभाग रहेगा, जिसका बजट अलग से पेश होगा।
ग्रामीण विकास भी इनके जिम्मे हैं, जो कुल बजट की तुलना में चौथे नंबर पर है, जिसका 20.5 हजार करोड़ रुपए का बजट साइज है। दोनों विभागों को जोड़ दिया जाए, तो कृषि और ग्रामीण विकास का कुल बजट में हिस्सेदारी 33.5 हजार करोड़ रुपए हो जाती है।
Ministers of Rajasthan
गजेन्द्र सिंह खींवसर
1. चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग
2. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं (ईएसआई)
वसुंधरा राजे सरकार में दो बार मंत्री रहे खींवसर कैबिनेट में सीनियर चेहरे हैं। इस बार उन्हें मेडिकल एंड हेल्थ डिपार्टमेंट का जिम्मा मिला है। वे कैबिनेट में एक मात्र चेहरा हैं, जो राजे के नजदीकी रहे हैं। प्रशासनिक अनुभव होने के नाते और मारवाड़ के सियासी समीकरणों को साधने के लिए उन्हें जनता को राहत देने वाला विभाग दिया गया है।
खींवसर की छवि पार्टी में सौम्य राजपूत चेहरे के तौर पर रही है। राजस्थान के कुल बजट में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तीसरे नंबर पर आता है, जो 22 हजार करोड़ रुपए से अधिक का है। डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे विभाग को संभालना अपने आप में बड़ी चुनौती है। इतने बड़े प्रदेश में गांव-ढाणियों के नजदीक चिकित्सा सुविधा पहुंचाना और सरकार अस्पतालों की स्थिति सुधारना भी इनके लिए खड़ी चढ़ाई जैसा रहेगा।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़
1. उद्योग एवं वाणिज्य विभाग
2. सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग
3. युवा मामले और खेल विभाग
4. कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग
5. सैनिक कल्याण विभाग
केंद्रीय मंत्री और दो बार सांसद रहे राठौड़ राजस्थान का राजपूत चेहरा हैं। पूर्व फौजी अफसर और ओलिंपिक चैंपियन होने के नाते उन्हें युवा, खेल व सैनिक कल्याण जैसे विभाग दिए हैं। वहीं, प्रदेश को मजबूती देने वाला दमदार विभाग उद्योग एवं वाणिज्य और तकनीकी डिपार्टमेंट सौंपा गया है। इसके अलावा आईटी डिपार्टमेंट भी इनके पास है।
यदि राजस्थान में औद्योगिक विकास हो जाए, तो प्रदेश अपने दम पर बेरोजगारी कम कर सकता है और जीडीपी को बहुत आगे ले जाने में मदद कर सकता है। इनके लिए छोटे-बड़े उद्योग घरानों व अन्य निवेशकों को भ्रष्टाचार मुक्त माहौल देकर तेजी से उनकी योजना को जमीन पर लाना बड़ी चुनौती रहेगा।
मदन दिलावर
1. विद्यालयी शिक्षा विभाग (स्कूल एजूकेशन)
2. पंचायती राज विभाग
3 संस्कृत शिक्षा विभाग
राजस्थान में बजट की हिस्सेदारी को देखें, तो सबसे अधिक प्रावधान एजुकेशन डिपार्टमेंट के लिए रखा जाता रहा है। पिछले बजट में भी सबसे अधिक राशि करीब 40 हजार करोड़ का बजट शिक्षा को ही मिला था। बजट साइज में शिक्षा विभाग नंबर वन है। अब इस विभाग का जिम्मा संघ की विचारधारा से जुड़े मदन दिलावर उठाएंगे।
मदन दिलावर को स्कूली शिक्षा देने के पीछे संघ और उनका हिंदूवादी चेहरा नजर आता है। इससे पहले भी बीजेपी में ये विभाग संघ से जुड़े रहे और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के पास रहा था। देवनानी ने ही अकबर महान के बजाय प्रताप महान का मुद्दा उठाया था और स्कूली शिक्षा में बदलाव भी किया था। दिलावर को इस विभाग के जरिए भाजपा की उम्मीदों पर खरा उतरने का अच्छा मौका मिला है।
कन्हैयालाल चौधरी
1. जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग
2. भू-जल विभाग
कन्हैयालाल सांप्रदायिक रूप से बहुत ही संवेदनशील मालपुरा क्षेत्र से विधायक हैं। गहलोत सरकार के दौरान काफी बदनाम रहे जलदाय विभाग का जिम्मा जाट चेहरे कन्हैयालाल चौधरी को सौंपा गया है। ये डिपार्टमेंट जनता से सीधा जुड़ा हुआ है और जनता की पानी की पीड़ा को राजनीतिक मुद्दा बनते देर नहीं लगती। इस कारण ये संवेदनशील विभाग है।
राजस्थान के पिछले बजट में पेयजल के लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। जन-जन तक शुद्ध पानी पहुंचाना और घाटे में रहने वाले इस विभाग को फायदे में लाना, एक बड़ी चुनौती हमेशा कन्हैयालाल चौधरी के सिर पर बनी रहेगी।
जोगाराम पटेल
1. संसदीय कार्य विभाग
2. विधि एवं विधिक कार्य विभाग और विधि परामर्शी कार्यालय
3. न्याय विभाग
सुरेश सिंह रावत
1. जल संसाधन विभाग
2. जल संसाधन (आयोजना ) विभाग
रावत समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है और इस कारण जातीय समीकरण साधने के लिए सुरेश सिंह रावत को जल संसाधन जैसा मजबूत विभाग सौंपा है। यह राजनीतिक रूप से बड़ा ही संवेदनशील विभाग है, क्योंकि 13 जिलों और करीब 80 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरने वाला ईआरसीपी प्रोजेक्ट इस विभाग के खाते में आएगा।
इन चुनावों में और गहलोत सरकार में ये प्रोजेक्ट केंद्र और राज्य के लिए चुनावी मुद्दा बना रहा था। पहली बार मंत्री बने रावत को ये विभाग देकर उन्हें खुद को साबित करने का पूरा मौका दिया गया है।
अविनाश गहलोत
1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग
सुमित गोदारा
1. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
2. उपभोक्ता मामले विभाग
जोराराम कुमावत
1. पशुपालन एवं डेयरी विभाग
2. गोपालन विभाग
3. देवस्थान विभाग
बाबूलाल खराड़ी
1. जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग
2. गृह रक्षा विभाग
हेमन्त मीणा
1. राजस्व विभाग
2. उपनिवेशन विभाग
सुरेन्द्रपाल सिंह टी.टी.
1.कृषि विपणन विभाग
2. कृषि सिंचित क्षेत्र विकास एवं जल उपयोगिता विभाग
3. इंदिरा गांधी नहर विभाग
4. अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ विभाग
संजय शर्मा
1. वन विभाग
2. पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग
3. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
पूर्वी राजस्थान में भाजपा ने पिछली बार की तुलना में अधिक सीटें जीतीं और इस कारण अलवर शहर से विधायक संजय शर्मा को पहली बार मंत्री पद मिला। प्रदूषण में राजस्थान में सबसे टॉप इंडस्ट्रियल एरिया भिवाड़ी भी उन्हीं के जिले में आता है।
उन्हें बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वन एवं पर्यावरण जैसे मजबूत और वातावरण को शुद्ध रखने वाला डिपार्टमेंट मिला है। शर्मा को वन क्षेत्रों से अवैध खनन रोकने, हरियाली से भरे-पूरे क्षेत्र को बढ़ाने जैसे चुनौती भरे काम करके दिखाने होंगे।
गोतम कुमार
1. सहकारिता विभाग
2. नागरिक उड्डयन विभाग
झाबर सिंह खर्रा
1. नगरीय विकास विभाग
2. स्वायत्त शासन विभाग
शेखावाटी को प्रतिनिधित्व देकर क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने के लिए खर्रा को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। खर्रा को नगरीय विकास जैसा मजबूत विभाग दिया गया है।
करीब 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक बजट साइज के कारण यह विभाग राजस्थान के बजट में छठे नंबर पर आता है। आम तौर पर यह विभाग अनुभवी नेता को ही दिया जाता है। लेकिन इस सरकार में पहली बार के मंत्री को सौंपा गया है। शहरों के विकास को किस गति से आगे बढ़ाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
हीरालाल नागर
1. ऊर्जा विभाग
राजस्थान में महंगी बिजली और बिजली संकट के मुद्दे बार-बार उठते हैं। इस चुनौती भरे विभाग का जिम्मा भाजपा सरकार ने पहली बार मंत्री बने हीरालाल नागर को सौंपा है। बजट के हिसाब से देखें, तो राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हीरालाल नागर को कुल बजट में से करीब 26.5 हजार करोड़ रुपए की हिस्सेदारी है।
अन्य विभागों की तुलना में यह दूसरे नंबर का हिस्सा है। हीरालाल नागर कोटा जिले में किसान वर्ग की नागर जाति के प्रमुख चेहरे हैं। नागर, धाकड़ समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है।
राजभवन में 22 मंत्रियों ने 30 दिसंबर को शपथ ली
30 दिसंबर को राजभवन में एक समारोह में 22 मंत्रियों ने शपथ ली. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा और दीया कुमारी 15 दिसंबर को पहले ही शपथ ले चुकी थी. ऐसे में राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल की 25 सदस्यीय टीम तैयार हो गई है. राज्य में मंत्री के 5 पद खाली रखे गए हैं. विधायकों की संख्याबल के हिसाब से यहां अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं.