Sheetala ashtami 2021: शीतला माता मंदिरों पर पुलिस का पहरा, महिलाएं मंदिरों में नहीं पूज सकी शीतला माता

Sheetala ashtami 2021: गंगापुर सिटी। आज महिलाएं सुबह उठकर जैसे ही शीतला मंदिरों में पहुुंची तो वहां पुलिस तैनात मिली। शीतला माता मंदिर को कनात लगाकर बंद कर दिया गया। किसी भी महिला ने शीतला माता पूजने की कोशिश की तो उसे पुलिस ने वहां से भगा दिया। यह सब हुआ आज गंगापुर सिटी के सभी शीतला माता मंदिरों में। इससे महिलाओं को बहुत परेशानी हुई। इतना ही नहीं महिलाएं यह कहती नजर आई कि शीतला माता के कनात लगाने की क्या आवश्यकता थी? प्रशासन को यदि व्यवस्था ही करनी थी तो पुलिस को तैनात कराकर एक-एक महिला को पूजने दिया जाता। साल में एक बार शीतला माता की पूजा करने की लिए हिन्दू धर्म में महिलाएं शीतला माता मंदिर पर ही जाती हैं। इस व्यवस्था को देखकर महिलाएं प्रशासन के खिलाफ बहुत रूष्ट नजर आई।

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बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण की यह व्यवस्था

वर्तमान में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण प्रशासन ने शीतला माता मंदिर पर पूजन करने आनी महिलाओं से कोरोना एडवाइजरी का पालन करने की अपील की है। साथ ही महिलाओं से माता क पूजन अपने घरों से ही करने की अपील की है। प्रशासन ने इस व्यवस्था को बनाने के लिए गृह विभाग जयपुर की पालना मेें 21 मार्च को दिए निर्देर्शों के अनुसार 2 अप्रैल को शीतला माता मंदिर में सामूहिक रूप से पूजन एवं मेले के आयोजन पर रोक लगाई है। इस आदेश की पालना की जिम्मेदारी तहसीलदार गंगापुर सिटी एवं सम्बधित थानाधिकारी को सौंपी गई। इसके लिए एडीएम नवरत्न कोली, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु शर्मा एवं तहसीलदार ज्ञानचंद जैमन की उपस्थिति में बैठक आयोजित की गई थी।

कब मनाई जाती है शीतला अष्टमी

होली के बाद आने वाली चैत्र कृष्ण अष्टमी पर शीतला अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। कई लोग इसे होली अष्टमी भी कहते हैं। इस त्योहार को कुछ लोग होली के आठ दिन बाद तो कुछ लोग होली के बाद के सोमवार को मनाते हैं। उत्तर भारत के अलावा गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी यह त्योहार मनाया जाता है। गुजरात में यह त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी के एक दिन पहले मनाया जाता है। इसे वहां शीतला सप्तमी कहा जाता है।
इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। देशभर के माता शीतला मंदिरों में इस दिन मेले का आयोजन होता है। इस त्योहार को कई जगह बासौड़ा भी कहते हैं। माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने की प्रथा है। इस दिन घर में ताजा खाना नहीं बनता, महिलाएं एक दिन पहले रात को ही खाना बना लेती हैं, उसी खाने से माता शीतला की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला शांति की देवी हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भक्तों की रक्षा करती हैं। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान किया जाता है। माता शीतला की पूजा का सामान लेकर माता शीतला मंदिर में और होलिका दहन की जगह पर भोग लगाया जाता है। इसके बाद शीतला व्रत की कथा सुनने के बाद घर आकर मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी से हाथ के टीका लगाए जाते हैं। मंदिर से लाए गए जल पूरे घर में छींट देते हैं। इससे शीतला माता की कृपा बनी रहती है और रोगों से घर की सुरक्षा होती है।
ऐसा माना जाता है कि चिकनपॉक्स, चेचक, स्मालपॉक्स जैसी बीमारियों से बचाने के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है। श्रद्धालु भोग लगाने के बाद इसी भोजन को ग्रहण करते हैं। पूरे दिन घरों में चूल्हे नहीं जलाए जाते हैं। मान्यता है कि घरों में चूल्हे जलने से या गर्म भोजन खाने से माता शीतला भक्तों से नाराज हो जाती हैं।

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