क्या किसान आंदोलन की आड़ में भारत को बदनाम करने की थी बड़ी साजिश?

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का आंदोलन पिछले दो महीने से लगातार जारी है। किसानों के 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम को लकेर सरकार अलर्ट पर है। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में चक्का जाम में हिंसा की आशंका जताई गई है। इसके मद्देनजर पुलिस आंदोलनकारियों पर काबू पाने के लइए पूरी कोशिश में लगी है। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने चक्का जाम शांतिपूर्ण होने का ऐलान किया है।
इस बीच अंतराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आए किसान आंदोलन के समर्थन में कई दिग्गज उतरे हैं। सवाल ये भी है कि किसान आंदोलन में क्या अंतराष्ट्रीय हाथ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय लोकतंत्र को किसान आंदोलन के नाम पर बर्बाद करने की साजिश रची जा रही है। इस साजिश का खुलासा तब हुआ जब स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट किया।
ट्वीट को फिर डिलीट कर दिया गया। उस ट्वीट के के बाद से ग्रेटा पर भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रचने के आरोप लगने लगे। दरअसल, ग्रेटा ने जिस दस्तावेज को शेयर किया था उसमें भारत सरकार पर किसान आंदोलन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की प्लानिंग साझा की गई थी। इस ट्वीट के लिए ग्रेटा सोशल मीडिया पर जब ट्रोल होने लगी तो उन्हें गलती का एहसास हुआ और उस ट्वीट को हटा दिया। थनबर्ग के ट्वीट में बीजेपी और आरएसएस को फासीवादी सत्ता बताया है। ट्वीट के साथ ही ग्रेटा ने जो दस्तावेज शेयर किया था उससे किसान आंदोलन को उग्र बनाने की पूरी रणनीति थी।