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कोटा। कोरोना महामारी के बीच रेल कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी, निष्ठा व कत्र्तव्यपरायणता के साथ निभाते हुए कोरोना वारियर्स की भूमिका अदा कर रहे हैं और पूरे देश में लॉकडाउन के बीच आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही को सुनिश्चित कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार के तमाम केेंद्रीय कर्मचारियों के डीए पर जुलाई 2021 तक जो रोक लगाई है, वह पूरी तरह अमानवीय कृत्य है। इसके खिलाफ वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन द्वारा 28 अप्रैल से 3 मई तक विरोध सप्ताह आंदोलन आयोजित किया है। जिसका बुधवार 29 अप्रैल को दूसरा दिन रहा। रेल कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ काली पट्टी धारण कर प्रदर्शन किया।
वेसेरेएयू के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि कार्यरत रेलकर्मचारियों तथा सेवानिवृत कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर केन्द्र सरकार के इस अनैतिक आदेशों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है। इस कोरोना महामारी में रेलकर्मचारी दिन-रात मौत की परवाह किये बगैर 24 घंटे अपनी सेवाएं देने का कार्य कर रहे हैं। पूरे देश को दिन-प्रतिदिन की खाद्य सामग्री, दवाईयां, मेडीकल उपकरण, बिजली घरों का कोयला, आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति कर रहे हैं। ऐसे संकट के समय कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने की बजाय मंहगाई भत्ते की आर्थिक कटौती करने का अनैतिक निर्णय लिया है।
इस अनैतिक निर्णय से सभी रेलकर्मचारियों व सेवानिवृत रेलकर्मचारियों में भारी आक्रोश है इसलिये उनकी भावनाओं को मद्देनजर रखते हुये तीनों मंडलों कोटा, जबलपुर व भोपाल के अपने-अपने कार्यस्थलों पर एवं कोरोना के कारण जो कर्मचारी घर पर हैं वह अपने घर पर रहते हुये विरोध सप्ताह के दूसरे दिन भी काली पटटी बांध कर इस अनैतिक निर्णय के खिलाफ विरोध प्रारंभ कर दिया है तथा सेवानिवृत कर्मचारियों ने भी घरों पर रहकर काली पटटी बांधकर विरोध प्रदर्शित किया है।
गालव ने बताया कि कोटा मंडल में बुधवार को भी सभी रेलवे स्टेशनों पर समस्त कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज करवाया है। रेलकर्मचारी 3 मई तक अपनी बांह पर काली पटटी बांधकर केन्द्र सरकार के इस तुगलकी आदेश के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
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